माँ-बाप
माँ-बाप
जिन्दगी की इस भूल भुलैया में
कभी भूलकर भी
अपने माँ-बाप को भूल मत जाना
वरना तुम्हारा वजूद मिट जायेगा
जब जड़ से ही तुम अलग हो जाओगे
तो सोचो तुम कैसे फल फूल पाओगे
आखिर माँ-बाप
तुमसे चाहतें ही क्या है?
एक ख़ुशी के अलावा
तुम्हारे एक मीठे बोल सुनने के लिए
उनके कान हमेशा तरसते हे
और एक तुम हो
जो उन्हें तिरस्कार के अलावा
कुछ भी नही दे पाते हो
हमेशा माँ-बाप
ओलाद की ख़ुशी के लिए दूआ करते है
और एक औलाद है
जो उन्हें वक़्त पड़ने पर
अकेला छोड़ कर
दर दर की ठोकर खाने के लिए
मजबूर करके कही दूर चले जाते है
Source : लक्ष्मण चौकसे
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